श्री कुष्माण्डा की स्तुति

कुष्माण्डानु नाम निरालु, ईष्ट हास्यथि ब्रह्म रचनारु

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Last updated on : Sun, 26-Mar-2023 Hindi-gujarati

कुष्माण्डानु नाम निरालु, ईष्ट हास्यथि ब्रह्म रचनारु (२)

सूर्य लोकमा निवास करती, जग आखाने प्रकाशित करती ;

आदि-शक्ति रुपे वखाणु, कुष्माण्डानु नाम निरालु........१

अष्ट भुजाली तू कहेवाय, धनुष्य बाण चक्र गड़ाय;

मानु मुख छे ममतावालु , कुष्माण्डानु नाम निरालु........२

कूष्माण्ड कोलाने कहे छे, पञमे टेनी बलि चढ़े छे;

यज्ञ विधि पूरण करनारु, कुष्माण्डानु नाम निरालु.........३

चौथा नोरते तू पुजाय, रोग शोकनों नाश थाय;

' गगजी 'ने शांति देनारु, कुष्माण्डानु नाम निरालु.........४